Wednesday, November 19, 2014

तेरी मेरी हालत के नदी के दो किनारे हो

तू मै और हम

कुछ यु हो चली है अब तेरी मेरी हालत के नदी के दो किनारे हो.… 
हालातों से मजबूर जैसे जिन्हें मिलना कभी  है नहीं पर साथ हमेशा का है.…
उम्मीदों का पुल बना कर जुड़ने की कोशिश तो की बहुत थी पर.....................
कोशिशों में दम कम निकला,जब भी हम साथ हुवे वक़्त से तूफ़ान वाले हालत हुवे। 

:-मनीष पुंडीर 



No comments:

तीन बहनों का एक भाई

                 मैं  तीन बहनों का एक भाई था और वो भी उनसे बड़ा, बचपन से ही उनकी परवाह करता रहा मां ने सिखाया था। मेरा बचपन थे वो अभी हाल ही...