Wednesday, September 17, 2014

बाँटो हंसी खुशी प्यार पैसे नहीं लगते।

एक बार सोच के देखो………


                                                       बचपन में हम खुशियों  की वजह नहीं ढूंढते थे हर चीज़ में खुशी मिलती थी हमे याद करना जरा एरोप्लेन जाता था उसे देख हम टाटा करके कितने खुश  होते थे,जब घर क बाहर आइस-क्रीम वाले की घंटी टन -टन करती थी तो हम खिड़की से ही आवाज़ देकर उसे रोकते थे तब कितनी खुशी  मिलती थी।पापा के जूते चुपके से पोलिश करके उन्हें देते थे,माँ की ऊँगली पकड़ के सोते थे। मेरा मानना है की ये मासूमियत हमेशा अपने साथ रखोगे तो खुश रहना भी सिख जाओगे और खुशी बाटना भी सीख जाओेगे,हर एक के अंदर बड़े होने के बाद भी मन में एक बच्चा छुपा होता है उसे जिन्दा रखोगे तो जिंदगी में खुश रहोगे। पर ये मेरा मानना है क्युकी मैंने ये खुद महसूस किया आपको मानना  है तो आप भी आज़मा के देख सकते है,बाकी जिस दिन खुद ये महसूस करो तो आगे भी ये सोच बढ़ा देना।बाकि टॉम एंड जेरी देख के शायद आज भी हँसते  हो तुम????      
                              पैसो से खुशी नहीं खरीदी जाती कभी एक गुलाब का फूल वो काम कर जाता है जो एक हीरे की अंगूठी नहीं करवा सकती,हँसने की आदत ही डाल लो आपका हँसता चेहरा देख क्या पता कुछ देर के लिए ही सही कोई अपनी फ़िक्र ही भूल जाये।कितना महंगा है किसी को मुस्कान बाटना????  उतना ही महँगा जितना सूरज से रौशनी लेना,चाँद को मामा कहना..........मानों या ना मानों पर थोड़ा थोड़ा छोटी छोटी चीज़े करके बड़ी बड़ी मुस्काने पा सकते हो।हाँ  हाँ  समझ गया मन में चल रहा होगा कैसे?? लो जी जितना हमारे पले पड़ा है आजतक वो आपके पाले में भी भेज देते है.


            
                        आज घर जाकर माँ को गले लगा कर या जो मेरी तरह उनसे दूर है उन्हें फ़ोन करके "I LOVE YOU SO MUCH" कहना सुकून और खुशी का परफेक्ट कॉम्बिनेशन तब एहसास  होगा,हर किसी को मुस्कुरा कर थैंक्यू बोलना अपने ऑफिस बॉय से लेकर दूध वाले भईया तक को उसी तरह जैसे बचपन में घरवाले सीखते थे "कोई अंकल आपको  चीज़ी  दे  तो उन्हें थैंकू  जरूर  बोलना " ये आदत का सुकून का पता उन चेहरों पर देखना जिन्होंने लोगों  की झिकझिक के इलवा आज थैंक यू सुना।हम वैसे जल्दी किसी पर भरोसा नहीं करते और खराब माहोल को दोष देते है अब्ब्ब्ब्बे यार माहोल ठीक करने रजनीकांत जी आयंगे नहीं??? पर इंडिया-पाकिस्तान का मैच हो स्कोर पूछने में हम नहीं सोचते,जब कोई आपके सामने लडख़ड़ा कर गिरे तो आप उठाने जायंगे इसी उमीद में कल को हम भी तो लडख़ड़ा सकते है। 
                              बहुत सी ऐसी चीजें है जो हमें  एक दूसरे से अप्रत्यक्ष रूप से जोड़ती है उन चीज़ो को लेकर हम सोचते नहीं है एक हमारा इंडिया-पाकिस्तान का मैच,हमारा खाना सरदार जी को डोसा पसंद है तो हमारे बासु डा को छोले भटूरे हमारी तमिल वाली आंटी को ढोलका बड़ा सवाद लगता है और हमारे गुजराती भाई को सरसों के साग का स्वाद अज़ीज़ है।अपने यहाँ तो जी इंसान को खाना खिला कर खुश कर दे,खेर खाना तो हमेशा रहेगा,ये बताओ कभी खून दान किया है करके देखना किसी का जान बचाने का एहसास क्या होता है पता लगेगा।कौन कहता है आजकल बिना शर्तों  के प्यार करने वाला नहीं मिलता??? अजी ढूंढने वाला  चाहिये यकीं नहीं तो कभी किसी नन्ही सी जान (pet) को घर लाकर देखना और अपने साथ रखना आपके लिए तो शायद वो सिर्फ एक जानवर हो पर उसके लिए उसका सब कुछ आप ही होंगे।
                      

                                    जिंदगी माना थोड़ी व्यस्त है सब अपने अपने कामों में मस्त है ज़यादा पैसे कमाने की दौड़ जबरदस्त है,पपरररररर हमने कौन सा आपको ताज़महल बनाने को कह दिया ग़ौर करना अगर थोड़ा भी कुछ समझ में आया हो तो.………………?????? तो क्या वो भी में बताऊंगा।आपके लिए एक लाइन "पहले इस्तेमाल करे,फिर विश्वास करें" पैसे कमाने के चक्कर में यादें  गवा दोगे,पैसे तो फिर भी कमा लोगे वक़्त को दुबारा कैसे पलटोगे?? ।बस मुझे इतना ही आता है अभी तक इतना ही सिखया जिंदगी ने पर मुझे तो खुशी  बाटना आ गया,अब इतना ही कहना था बाकि आप पर है आप इसे पढ़ के एक बार मुस्का भी गए तो भी हम खुश और इसी सोच को खुद महसूस करके जियोगे तो आप बी खुश और हम तो पहले से ही खुश  है   .……… हा हा हा हा हा हा। 
    
:-मनीष पुंडीर 

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